गर्मी आई! गर्मी आई!!
पानी से दोस्ती कराई।।
जिस पानी को छूने से,
सर्दी में हम डरते हैं।
उस पानी की खातिर,
आपस में लड़ मरते हैं।।
पानी में ही जिंदगानी है,
अब जैसे ही दिखती है।
पानी ही है महारानी भी,
अब ऐसे ही ये लगती है।।
पीना और नहाना लगता,
अब है यारों! बहुत भला।
सर्दी गई! आ गई ये गर्मी,
जैसे आई हो कोई बला।।
टप- टप-टप-टप चूता पसीना,
मुश्किल हुआ हाय! देखो जीना।
जाग जाग कर सब सोते जगते,
मछली सदृश ! दिन रात तड़पते।।
मेहनत मजदूर जीता हांफ-हांफ,
सर्दी में जीता नित जो कांप-कांप।
रिक्शे को चलाता मुंह ढांप-ढांप,
सूरज को चिढ़ाता गर्मी भांप-भांप।।
—– रचयिता – शैलेंद्र कुमार मिश्र, प्रवक्ता,
सेंट थामस इंटर कॉलेज, शाहगंज, जौनपुर।
संपर्क- 9451528796.
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