ओ माई मोर! हम हूं इसकुलवा जाबै ना!
ओ काका मोरे ! हम हूं इसकुलवा जाबै ना।
ओ चाचा मोरे! हम हूं इसकुलवा जाबै ना,
ओ ताऊ मोरे! हम हूं इसकुलवा जाबै ना।।
“ऐ बेटी! जब तू जईबू ,पढ़ै इसकुलवा रे;
के करी बबुनी,ई घर का सारा कमंवा रे।
तू तौ रहा ऐ सुगनी,घरवै मा भली बाटू;
चलत रहै द अइसे घर का कमंवा रे।।”
“कमंवा निपटाई बाबू! जाबै इसकुलवा;
भाई के संगवा संगवा, पढिंबै हम पठवा।
बाकी रहली न माई हे कौनो भी काम रे,
ऐ चाचू! ऐ बप्पा मोरे!!जाबै इसकुलवा।।

पठवा के पढ़ि पढ़ि! खूब अमल म लाउब,
शिक्षा से आपन जिनगी हम सब सुधारब।
जिऐ क तरीका माई तोहका है सिखाउब;
रोग बाधा! टोना टोटका से सबै के बचाउब।
साफ सफाई कै माई!फायदा खूब बाटै रे,
उठब बैठब के तौर तरीका मास्टर सिखावें।
दुनिया दारी की बड़ी बड़ी बातें हैं बतावें,
सिलाई कढ़ाई रसोई की सब सीख सिखावें।।
निरक्षर रहि के बापू!अब नाहीं अंगूठा लगाउब;
घरवा में आइ माई !तोहूं क लिखबै सिखाउब।
मेटब अज्ञान मन म,ज्ञान का अलख जगाइब,
दुनिया में बप्पा-माई!तोहरा नाम हम कमाइब।।
—– रचयिता—— शैलेंद्र कुमार मिश्र; प्रवक्ता;
सेन्टथामस इंटर कॉलेज, शाहगंज, जौनपुर, यूपी
मोबाइल नंबर- ९४५१५२८७९६.
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